क्या आपने कभी सोचा है कि इतना भारी भरकम हवाई जहाज आखिर आसमान में कैसे उड़ता है? इसमें कौन सी ताकत या तकनीक काम करती है जिससे यह ज़मीन से उठकर हज़ारों फीट ऊपर उड़ान भरता है? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि एयरोप्लेन कैसे उड़ता है, इसके पीछे का विज्ञान क्या है, और किन प्रमुख हिस्सों की इसमें भूमिका होती है।
एयरोप्लेन उड़ने के लिए "बर्नौली का सिद्धांत" (Bernoulli's Principle) और न्यूटन का तीसरा नियम इस्तेमाल करता है:
जब हवा एक सतह पर से तेज़ी से गुजरती है, तो वहाँ का दबाव कम हो जाता है। एयरोप्लेन के पंख (wings) इस तरह डिज़ाइन किए जाते हैं कि ऊपर से हवा तेज़ जाती है और नीचे से धीमी। इससे ऊपर की ओर एक बल (Lift) उत्पन्न होता है।
"हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है"। जब इंजन से थ्रस्ट (Thrust) पीछे की ओर डाला जाता है, तो प्रतिक्रिया में विमान आगे बढ़ता है।
अब आप जान चुके हैं कि एयरोप्लेन कैसे उड़ता है। यह केवल पायलट का कमाल नहीं, बल्कि विज्ञान, इंजीनियरिंग और एयरोडायनामिक्स का एक अद्भुत मेल है। अगली बार जब आप फ्लाइट में हों, तो ज़रूर याद कीजिएगा कि आपके चारों ओर कितनी टेक्नोलॉजी काम कर रही है।
Ans: एयरोप्लेन उड़ने के लिए मुख्य रूप से बर्नौली सिद्धांत (Bernoulli’s Principle) और न्यूटन का तीसरा नियम काम करता है। पंखों की डिज़ाइन और इंजन से उत्पन्न थ्रस्ट की वजह से विमान आसमान में उड़ पाता है।
Ans: विमान को उड़ाने में चार बल काम करते हैं –
Ans: पंखों का आकार (Airfoil Shape) इस तरह से बनाया जाता है कि ऊपर से हवा तेज़ी से गुजरे और नीचे से धीमी। इससे ऊपर की ओर लिफ्ट पैदा होती है और विमान उड़ता है।
Ans: विमान के इंजन (Jet Engine या Propeller) थ्रस्ट उत्पन्न करते हैं, जिससे विमान आगे की ओर गति करता है।
Ans: हवाई जहाज थोड़ी दूरी तक ग्लाइड कर सकता है, लेकिन लंबे समय तक बिना इंजन के उड़ना संभव नहीं है। इंजन थ्रस्ट प्रदान करता है जो विमान के लिए आवश्यक है।
Ans: एक सामान्य पैसेंजर जेट लगभग 800–900 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ता है।
Ans: ब्लैक बॉक्स विमान का सुरक्षा उपकरण है जिसमें फ्लाइट डेटा और कॉकपिट बातचीत रिकॉर्ड होती है। यह दुर्घटना की स्थिति में कारण जानने में मदद करता है।
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